ऋषि चक्र


सालगम् (चतुस्र जाति त्रिपुट) [ऋषि पा]

वारण-वदनं वारि वश्यामि वाम-देव-प्रिय-सुत-महं सुमुखम् ।

वारि-वाह-पति-नुतम् अनन्त-मार-सम-सुन्दरं द्वै-मातुरम् ।

बाहु-लेयाग्रजं पञ्च-बाहुं वर-प्रदं भासुर-देहम् ।
समस्त-देवत-सेवित-पादं सकलाशृत-जन-कामित-फलदम् ।
सहिश्णुं प्रणव-नाद-विनोदं सततं मुरळि-गान-विनोदम् ॥


जलार्णवम् (चतुस्र जाति त्रिपुट) [ऋषि श्री]

महेश्वरि कावुम उम मा, पति-सोदरि मातङ्गि ननु ।

महा-देव-मानिनि मनोन्मणि महेन्द्राद्युपासित-वर-चरण ।

भृडाणि-मृगेन्द्र-वाहनि मधुकर-मुरळि-गान-विनोदिनि मोहिनि ।
मुर्मर-कोटि-निब-सुन्दर-मुखि सुमुख-जननि सित-समुदाय-पालिनि वाहनि ॥


झालवराळी (चतुस्र जाति त्रिपुट) [ऋषि गो]

माधव दयया पालय माम् उमाधव-विनुत-मधुसूदन ।

मोद-हृदय अमोह-प्रभाव वेद-वेदान्तातीत-केशव ।

अति-सत्गुण-झालवराळि-वितरण-शील वासुदेव ।
मधुर-निवास मृदु-सुभाष मधुर-मुरळि-गान-विलास ॥


नवनीतम् (चतुस्र जाति त्रिपुट) [ऋषि भू]

हिमात्मजे सन्ततं पाहि मां त्वदीय करुणां देहि ।

कुमार-जननि कुवलय-लोचनि शमन-वैरि-हृदयेश्वरि शुभकरि ।

नवनीत-हृदये सकल-जगन्नायकि नारायणि सदयिनि ।
दर-हसिते दुरित-दळने वर-मुरळि-गान-सुधा-मोदिनि ॥


पावनी (चतुस्र जाति त्रिपुट) [ऋषि मा]

जय-धनद-सख-दनिके द्याये विजय-छन्द-धारे द्येये ।

जय-मनोज्ञ-मुखे मधुरा-निलये जय-करि मधुसूदन-सोदरि ।

महेन्द्रादि-भावित-महिते महा-सेनाम्ब-मातङ्गि ।
मानित-शीले माम् अव पावनि मधुरिम-मुरळि-गान-विनोदिनि ॥


रघुप्रिया (चतुस्र जाति त्रिपुट) [ऋषि षा]

खतिलक-वम्श-तिलक विख्यात खल-हलाखिल जगत्-पालक ।

अतुलित-करुणा-स्वान्त शरणागत-समुदाय-परिपालक ।

खग-गमन नाग-शयनानघ अगजात रमणार्चित-चरण ।
रघुप्रिय घृणाकर माम् अव रम्य-गात्र मुरळि-गान-लोल ॥


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Last updated: Sun Jul 24 18:19:23 PST 2005
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