रुद्र चक्र


कान्तामणी (तिस्र गति चतुस्र जाति त्रिपुट) [रुद्र पा]

भुवनेश्वरि पाहि मां त्रि-भुवनैक-सुन्दरि भवानि ।

भव-तरण-मार्ग-दर्षिनि भव-कामित-कान्तामणि
भक्त-मनो-विहारिणि मुरळि-गान-सुधा-विनोदिनि ।
भारती-रमा-सहिते भजित-निजय-कृत-दुरित-हारिणि ॥


रिषभप्रिया (रूपक) [रुद्र श्री]

नन्दीशं वन्दे सदा नन्दीशं वन्दे सदा ।

वन्दारु-भक्त-जनानन्द-करं वाम-देव-भक्त-वरम् ।
साम-गान-कल-निधिं शब्ध्द-शाश्ट्र-प्रवीणम् ।

पर-शिव-ताण्डव-काले मुरजा-रव-सम्मोदम् ।
मुरळि-गानामृत-पुलकित-कायं वरद ं सप्त-स्वर-रिषभप्रियम्
कर-धृत-वेत्रं श्वेत-सुगात्रं परम-पवित्रम् ॥


लताङ्गी (चतुस्र जाति त्रिपुट) [रुद्र गो]

ताम्र-लोचनि लताङ्गि एकाम्ब्रेश्वर-सति त्राहि मा म् ।

धूम्र-लोचन-भञ्जनि अखिल-साम्राज्य-सङ्रक्षणि सदा ।

दयया मया कृत दुरितं हरा दयामये धर्म-पालिनि ।
शिव-प्रिये सुजन-हृदय-निलयानन्दमय-मुरळि-रव-मधु-प्रिये ॥


वाचस्पती (चतुस्र जाति त्रिपुट) [रुद्र भू]

नुतिन्तु सदाम्बुझ-सम्भवने ।

नताळेप्सित-वर-प्रद-शशि-पति वाचस्पति नुत-वात्पति निनु ।

चतुरानन सर्व जगत् सृष्टि, चतुराशृत रक्षण निरत ।
कृतापराध हर मुरळि धर नुत, सरस्वति मनो नायक ॥


मेचकल्याणी (रूपक) [रुद्र मा]

गति नीवे, ई जगतिनि ।

शृतुलै सततमु सेवारतुलगु, भक्त ततिकि सत् ।

नी लीललु ने तेलियग जालनु हिम बाल, ननु पालिम्पुमु कल्याणि ।
श्री ललिते मुरळि दर, बाल कृष्ण सोदरि ना ॥


चित्राम्बरी (चतुस्र जाति त्रिपुट) [रुद्र षा]

श्री राम नौमि भव चरणम् ।

सार-तर मुरळि-रव-मोहन अपार-कृपामय जगत्-वल्लभ ।
कुमार-जनक-नुत मार-जनकजा-रमण दिन-मणि-कोटि-प्रभ ॥


[ आदित्य | रागाङ्ग रवळि | Indian Classical Music | Krishna Kunchithapadam ]


Last updated: Sun Jul 24 18:19:23 PST 2005
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